मूर्ति कला
कलाकृतियों की प्राप्ति और उनका संग्रह
मथुरा की कलाकृतियों में पत्थर की प्रतिमाओं तथा प्राचीन वास्तुखण्डों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौनों का भी समावेश होता है। इन सबका प्रमुख प्राप्ति स्थानमथुरा शहर और उसके आसपास का क्षेत्र है। वर्तमान मथुरा शहर को देखने से स्पष्ट होता है कि यह सारा नगर टीलों पर बसा है। इसके आसपास भी लगभग 10 मील के परिसर में अनेक टीले हैं। इनमें से अधिकतर टीलों के गर्भ से माथुरी कला की अत्युच्च कोटि की कलाकृतियां प्रकाश में आयी हैं।
Read Moreपर्व और त्योहार
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कृष्ण जन्माष्टमी / Krishna Janmashtami
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्मभूमि पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हें और पूरे दिन व्रत रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्म स्थान के अलावा द्वारकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता हैं , जिनमें भारी भीड़ होती है।
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होली / Holi
फाल्गुन के माह रंगभरनी एकादशी से सभी मन्दिरों में फाग उत्सव प्रारम्भ होते हैं जो दौज तक चलते हैं। दौज को बल्देव (दाऊजी) में हुरंगा होता है। बरसाना,नन्दगांव, जाव, बठैन, जतीपुरा, आन्यौर आदि में भी होली खेली जाती है। यह ब्रज विशेष त्योहार है यों तो पुराणों के अनुसार इसका सम्बन्ध पुराणकथाओं से है और ब्रज में भी होली इसी दिन जलाई जाती है। इसमें यज्ञ रूप में नवीन अन्न की बालें भूनी जाती है। प्रह्लाद की कथा की प्रेरणा इससे मिलती हैं। होली
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गुरु पूर्णिमा / व्यास पूर्णिमा / मुड़िया पूनों / Vyas Purnima / Mudiya Puno / Guru Purnima
आषाढ़ मास की पूर्णिमा 'व्यास पूर्णिमा' कहलाती है। गोवर्धन पर्वत की इस दिन लाखों श्रद्धालु परिक्रमा देते हैं। बंगाली साधु सिर मुंडाकर परिक्रमा करते हैं क्योंकि आज के दिन सनातन गोस्वामी का तिरोभाव हुआ था। ब्रज में इसे 'मुड़िया पूनों' कहा जाता है। आज का दिन गुरु–पूजा का दिन होता है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है
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यम द्वितीया / Yam Dwitiya
कार्तिक सुदी दौज को विश्राम घाट पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं। यह ब्रज का बहुत बड़ा पर्व है। यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ यमुना स्नान के लिए लाखों में दूर–दूर से श्रृद्धालु आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा आर्चना करते हैं। इसे भाई दूज भी कहते हैं और बहनें भाई को रोली का टीका भी करती हैं।
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कंस मेला / Kansa Mela
कंस टीले पर आयोजित होने वाला यह मेला ब्रज का विशेष आकर्षण हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंस को मारने के उपलक्ष्य में मथुरा में यह मेला आयोजित होता है। इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं। वहां कंस के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत विश्राम घाट पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को
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राधाष्टमी / Radha Ashtami
भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्ण प्रिया राधाजी का जन्म हुआ था,अत: यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। राधाष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। बरसाना को राधा जी की जन्मस्थली माना जाता है। बरसाना मथुरा से 50 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम में औरगोवर्धन से 21 कि.मी. दूर उत्तर में स्थित है। यह भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा जी की जन्म स्थली है। यह पर्वत के ढ़लाऊ हिस्से में बसा हुआ है।
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गोवर्धन पूजा / अन्न कूट / Govardhan Pooja / Annakoot
दीपावली के दूसरे दिन सायंकाल ब्रज में गोवर्धन पूजा का विशेष आयोजन होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इन्द्र का मानमर्दन कर गिरिराज पूजन किया था। इस दिन मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता है। सायंकाल गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है।
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हरियाली तीज
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं।