वेद / Ved / Vedas
"विद्" का अर्थ है: जानना, ज्ञान इत्यादि वेद शब्द संस्कृत भाषा के "विद्" धातु से बना है। 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है
महाभारत
महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो हिन्दू धर्म के उन धर्मग्रन्थों का समूह है जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। इनमें वेद नहीं आते वर्ग में आता है। कभी कभी सिर्फ़ भारत कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। हिन्दू धर्म का यह मुख्यतम ग्रंथों में से एक है।
ब्रजभाषा
ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं।
मीरांबाई / मीरा / Meerabai
प्रसिद्ध कृष्ण-भक्त कवयित्री मीराबाई जोधपुर के मेड़वा राजकुल की राजकुमारी थीं। इनकी जन्म-तिथि के संबंध में मतैक्य नहीं है। कुछ विद्वान् इनका जन्म 1430 ई॰ मानते हैं और कुछ 1498 ई॰। मीरा का जीवन बड़े दु:ख में बीता। बाल्यावस्था में ही मां का देहांत हो गया।
रसखान / Raskhan
हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है। 'रसखान' को रस की ख़ान कहा जाता है। इनके काव्य में भक्ति, श्रृगांर रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और प्रभु के सगुण और निर्गुण निराकार रूप के प्रति श्रद्धालु हैं। रसखान के सगुण कृष्ण लीलाएं करते हैं।
भक्तिकाल / Bhaktikaal
हिन्दी साहित्य में भक्तिकाल 1375 वि0 से 1700 वि0 तक जाना जाता है। यह समय भक्तिकाल के नाम से प्रसिद्ध है। भक्तिकाल हिन्दी साहित्य का श्रेष्ठ युग है। हिन्दी साहित्य की उत्तम रचनाएं और समस्त श्रेष्ठ कवि इस युग में हुए हैं। दक्षिण में आलवार बंधु नाम से प्रसिद्ध भक्त हुए हैं।
जय केशव
"महावन में उस समय कुलचंद नाम का राजा था। उसका बहुत बड़ा किला था। (संभवतः इस समय मथुरा प्रदेश का राजनैतिक केंद्र महावन ही था।) कुलचंद बड़ा शक्तिशाली राजा था, उससे युद्ध में कोई जीत नहीं सका था। वह विशाल राज्य का शासक था। उसके पास अपार धन था
Mathura A Gazetteer-1
Boundaries and Area
Muttra, or as it is more correctly spelt Mathura, is the north-western district of the Agra division, and lies between the parallels of 27° 14' and 27° 58' north latitude and 77°17' and 78°12' east longitude.